सामाजिक >> मुजरिम हाज़िर मुजरिम हाज़िरविमल मित्र
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बंगला के लोकप्रिय उपन्यासकार विमल मित्र का बंगला में प्रकाशित उपन्यास ‘आसामी हाज़िर’ का हिन्दी अनुवाद...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
विमल मित्र सुप्रसिद्ध उपन्यासकार हैं और मुजरिम हाज़िर में उनकी औपन्यासिक कला ने यह चरम उत्कर्ष पाया है कि यह उपन्यास सहज ही एक महान महाकाव्य की श्रेणी में आता है।
बंगला के सर्वाधिकार लोकप्रिय उपन्यासकार विमल मित्र का यह उपन्यास ‘आसामी हाज़िर’ नाम से बंगला में दो वर्ष तक लगातार प्रकाशित होता रहा है। विमल मित्र ने इसमें चरित्रनायक सदानन्द के माध्यम से हमें सामाजिक जीवन के रन्ध्र-रन्ध्र में फैली दुर्नीति, दुराचार, ग्लानि और अन्याय को आँखों में अंगुली गड़ाकर दिखाया है। लेकिन उनकी दृष्टि केवल अन्धकार की ओर नहीं रही है, उनके ‘सक्रिय भलेमानुस’ सदानन्द ने ‘दिव्य प्रेम की पावन जोत’ भी हाथ में ले रखी है और इस तरह उपन्यासकार ने प्रखर प्रकाश की ओर भी देखा है। मुजरिम हाज़िर में जिस विशाल जगत की सृष्टि उन्होंने की है, उसकी प्रत्येक घटना, प्रत्येक चरित्र ऐसा विश्वास योग्य और हृदयग्राही है कि पाठक जगत में अनजाने शामिल हो जाता है - यह जगत उसका ही जगत बन जाता है।
बंगला के सर्वाधिकार लोकप्रिय उपन्यासकार विमल मित्र का यह उपन्यास ‘आसामी हाज़िर’ नाम से बंगला में दो वर्ष तक लगातार प्रकाशित होता रहा है। विमल मित्र ने इसमें चरित्रनायक सदानन्द के माध्यम से हमें सामाजिक जीवन के रन्ध्र-रन्ध्र में फैली दुर्नीति, दुराचार, ग्लानि और अन्याय को आँखों में अंगुली गड़ाकर दिखाया है। लेकिन उनकी दृष्टि केवल अन्धकार की ओर नहीं रही है, उनके ‘सक्रिय भलेमानुस’ सदानन्द ने ‘दिव्य प्रेम की पावन जोत’ भी हाथ में ले रखी है और इस तरह उपन्यासकार ने प्रखर प्रकाश की ओर भी देखा है। मुजरिम हाज़िर में जिस विशाल जगत की सृष्टि उन्होंने की है, उसकी प्रत्येक घटना, प्रत्येक चरित्र ऐसा विश्वास योग्य और हृदयग्राही है कि पाठक जगत में अनजाने शामिल हो जाता है - यह जगत उसका ही जगत बन जाता है।
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